धार्मिक आक्रमण

हमारे यहां कुछ हिन्दु संप्रदाय ऐसे निकले हैं जो आदमी को स्वार्थी, पलायनवादी, भाग्यवादी, और जीसने कभी देखी नही है उस जगह मर के जाने की प्रेरणा देते रहते हैं । ये सब इसलिये की अपने कुटुंब का मोह छोडो और काम धन्धा छोड के ध्यान में बैठ जाओ अपना परलोक सुधारने के लिए । जैसे वो जगह कोइ विदेश हो और पुण्य का डॉलर इधर से ले जाना हो । क्यों कि फोकट में तो कहीं गुजारा नही ।

पूरखों ने धर्म इसलिए बनाये थे ताकी जंगली आदमी को इन्सान आदमी बनाना था और उसे सतत याद दिलाते रहना था कि तू अब प्राणी नही इन्सान हो । फिर्फ नैतिकता भरनी थी, आदमी सुखशान्ति से जीवन पसार करे ऐसी भावना थी । भागने के या मरने के प्लान हमारे पूरखों के नही थे । याद दिलाने के लिए, यज्ञ, कथा किर्तन काफी थे ।   

ऐसे संप्रदायों का लिस्ट बहुत लंबा है यहां एक नमूना दिया है ।

————————————-मूल लेख—————–

१८८४ में जन्मा लेखराज कृपलानी को आज उस के अनुयायीयों द्वारा ब्रह्मा का अवतार माना जाता है उसने बी.के. याने ब्रह्माकुमारी धर्म की स्थापना की है । उस को भाई या दादा लेखराज भी कहा जाता है । मूल हैदराबाद, सिन्ध पाकिस्तान में जन्मे लेखराज कृपलानी अपनी उमर की आधी शतक में कलकत्ता में हिरे के व्यापार द्वारा १० लाख कमा के अमीर बन गया था । उस जमाने के १० लाख बहुत होते थे । धन कमाने से संतोष मान लिया, हिरे का धंधा बंद कर के १० हजार रुपये चुका कर एक बंगाली बाबा से तंत्रमंत्र सिखे और चल दिये वतन की और । सिंध में हैदराबाद लौटने के बाद आध्यात्मिकता से जुड गया और १९३२ में, ओम मंडली नाम के एक आध्यात्मिक संगठन की स्थापना की ।

उस के खूद के धनवान वैश्णव लोहाना समाज में सत्संग शुरु किया । १९३६ तक लगभग ३०० अनुयायी हो गये । सत्संग में अपने खूद के उपदेश देने लगा । उस के रिश्तेदार बताने लग गये “दादा के शरीर में भगवान शीव प्रवेश करते हैं और शीवजी का ज्ञान ही हमें सुनाते हैं ।“ एक भारतिय अब्राहम, एक भारतिय इसा या एक भारतिय महम्मद का जन्म करा दिया जीस के तार सिधे भगवान से जुडे थे । हालां की १९५५ तक शीवजी को महत्व नही दिया गया था उसके अनुयायी दादा लेखराज को ही भगवान समजते थे । बाद में उसे भगवान के मेसेन्जर के रूप में लिआ और ये माना गया की सभी धर्मों के गॉड की साया लेखराज के शरीर में प्रवेश कर गया है और १९६९ में दिल का दौरा पडने के कारण दुनिया छोड कर चला गया तब तक यही माना गया ।

ब्रह्मा कुमारी के अनुयायि का दावा है कि धर्म के वर्तमान मध्यम, ह्रदय मोहिनी द्वारा लेखराज की आत्मा को माउंट आबू में उनके भारतीय मुख्यालय में बुलाया जाता है ।

उस के संगठन आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्व विद्यालय ( ” एडवांस पार्टी ” के रूप में जाना जाता है), के एक पूर्व असन्तुष्ट सदस्यने दावा किया है की इस आंदोलन का स्थापक लेखराज का बिजनेस पार्टनर सेवक राम था लेखराज आंदोलन के सह संस्थापक थे, शीवजी का साक्षात्कार सेवक राम को हुआ था लेखराज को नही । २ फरवरी १९४२ सेवक राम ने संगठन छोड दिया था और संगठन का प्रबंधन करने के लिए उसके द्वारा नियुक्त दो महिला सदस्यों का बाद में शीघ्र ही मृत्यु हो गई थी । लेखराज केवल 1945 में संगठन का पूरा नियंत्रण हासिल कर पाया था ।

ओम मंडली

1937 में, कृपलानीने एक प्रबंधन समिति बनाई और कहा जाता है उस उस मेनेजिन्ग कमिटी में अपने भाग्य, अपने पावर का संचार कर दिया था । ये ओम मंडली के रूप में जाना जाता है और ब्रह्माकुमारी का केन्द है । इस समिति में कई महिलाएं शामिल हो गई थी और अपने धन का योगदान दिया था । दादा लेखराज अपने अनुयायियों को गीता का उपदेश भी देते थे, ओम मंडली के सदस्य लेखराज कृपलानी को भगवान ब्रह्मा मानते थे और उसे प्रजापति का टाईटल दिया और गीता का मूल रचयिता भी मान लिया ।

जब लेखराजने अपने आश्रम में आती युवा सिन्धी महिलाओं के साथ नजदिकी रिश्ते बनाने शुरु किये, उनके पति और परिवारों को छोड़ और उसकी गोपियों बनने के लिए प्रोत्साहित किया गया तो उस पापलीला के कारण महिलाएं अपने घरपरिवार और अपने पतिओं को छोडने लगी, वैवाहिक अधिकारों से वंचित करने लगी तो सिन्धी समाज भडक गया । बात और बिगड गई जब लेखराजने समाज के मुखिया को ही चेलेन्ज किया । उस की एक बेटी की शादी में दखल किया और दुसरी बेटी जो एक बच्चे की मां थी उसे भी उसके ससुराल से निकाल कर आश्रम में ले आया । नाबालिगों को अपने परिवार को छोडने और उन की आज्ञा का पालन नही करने के लिए प्रोत्साहित करने लगा । अपने को कृष्ण का अवतार होने का दावा ठोक दिया । विरोध बढने पर अपनी खाल बचाने के उपाय में लेखराज बोलने लगा सेक्स “जहर” है, एक क्रिमिनल अटेक है, नर्क का प्रवेशद्वार है । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आर्य समाज जैसे संगठन ने परिवार की शांति का भंग करनेवाले संगठन के रूप में ओम मंडली की निंदा की, कुछ ब्रह्मा कुमारी पत्नियों को उनके परिवार वालों ने पिटा, और दादा लेखराज पर जादु टोना और भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये । एक विकृत पंथ बनाने और सम्मोहन की कला के माध्यम से अपने समुदाय को नियंत्रित करने का आरोप लगाया गया था ।

विरोध और कानून से बचने के लिए दादा अपने कुछ साथियों के साथ कराची भाग गये । बहां हाईटेक आश्रम बना के अड्डा खडा कर दिया । ओम मंडली का कहना था की ये स्थलांतर तो शीवजी का आदेश था । ( कैसा संयोग ! देवताओं की मुर्तियों को तोड देने पर मुर्तियों के व्यापारीने अपने बेटे अब्राह्म को धर छोड के भाग जाने के लिए कहा था तो उसने भी डिंग मारी थी गोड ने मुझे आदेश दिया है की केनन(आज का इजराइल) चले जाओ और वहां जा कर दुनिया भर के राज्यों को अपने अधिन कर सको ऐसा साम्राज्य खडा करो ) कोपी पेश्ट ।

हैदराबाद के उसके विरोधी भाईबंध ग्रूपने उसका कराची में पिछा किया । 18 जनवरी, 1939 को, 12 और 13 साल की दो लड़कियों की माताओं कराची के ऍडिशनल जिस्ट्रेट के न्यायालय में , ओम मंडली के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी । महिलाओं की फरियाद थी की उन की बेटियों को गलत तरिके से उनकी मरजी के बिना ओम मंडलीने कराचीमें अपने पास रख्खा था । अदालतने लड़कियों को उनकी माताओं के साथ भेजने का आदेश दिया । ओम मंडली की ओम राधेने, उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील की, बाद में एक लडकी के माता पिता को अपनी बेटी ओम मंडली में रहने देने के लिए राजी कर लिया गया था ।

हिंदुओंने ओम मंडली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखा । सिंध विधानसभा के कुछ हिंदू सदस्यने ओम मंडली के विरोधमें इस्तीफा देने की धमकी दी । अंत में सिंध सरकार ने ओम मंडली को गैर कानूनी संगठन होने की घोषणा करने के लिए १९०८ के आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम का इस्तेमाल किया । विधानसभा में हिंदू नेताओं के दबाव के कारण, ओम मंडली को अपने परिसर को बंद करने और खाली करने के लिए आदेश दिया, लेकिन ओम मंडनीने अदालत में सरकार के आदेश के खिलाफ अपील की, सफलतापूर्वक अपनी दुकान बचा ली ।

भारत पाकिस्तान के पार्टिशन के बाद एप्रिल १९५० मे ओम मंडली राजस्तान के माउंट आबू में आ गई । १९६९ मे उस के मौत के बाद उस के अनुयायीओं ने इसे ब्रह्माकुमारी नाम से दुनिया के दुसरे देशों में भी फैला दिया ।

ग्लोबलिस्ट बेंकर माफियाओं ने भारत और खास कर हिन्दुत्व को तोडने के लिए हजारों की संख्या में भ्रष्ट नेता, बुध्धिजीवि लेखक, मिडिया के सभी अंग; समाचारपत्र, सिनेमा, टीवी, कला और साहित्य हजारों की संख्या में स्वयंसेवि संस्थाएं और सेंकडों की संख्या में धार्मिक संप्रदाय को पैदा किया है या तो कबजे में कर किया है जो देशद्रोह और धर्म द्रोह करने में लगे हुए हैं । यह दादा लेखराज का संप्रदाय “ब्रह्माकुमारी” उनमे से एक है ।

इस का इतिहास भूल जाते हैं आज की हालत क्या है वो देखते हैं और हिन्दुत्व तोडक होने का सबूत भी देखते हैं । आज २५ सितम्बर २०१३ है और आज कल में सेक्स कांड का एक मामला मिडियामें आया है । आश्रम का मामला है उसे भाड में डालते हैं, दानव समाज आपस में कुछ भी करे हमे इस से मतलब नही । आश्रम के बाहर के, संसारी भक्तों को बोध दिया जाता है कट्टर ब्रह्मचर्य का । पति पत्नि को भाई बहन की तरह रहने के लिए समजाया जाता है । एक परिवार है जो एक बेटी पैदा होने के बाद इस की संगत में फंस गया है । सरकारी इन्जिनियर है लेकिन अकल घास चरने गई तो पति पत्नि बिलकुल भाई बहन बन गये । लडकी पर बूरा असर पडा । डोक्टर बन गयी, ३२ साल की हो गई दूसरे संबंधी के दबाव में बाप को भी अक्कल आयी की इस की शादी करनी चाहिए । बहुत ही मनाने पर राजी हो गई थी इतना समाचार मिला, शादी हुई नही हुई पता नही । उस संप्रदाय में घुसे आदमी को जीवन और संसार निर्थक लगता है, अगले जनम की सोचने लगता है अगला जनम किसी ने देखा नही और फ्रोड गुरु आदमी को घुमा देते हैं ।

 

गोड इज वन, बिलकूल यहुदी, इसाई और इस्लाम की भाषा । ब्रह्मा विष्णु महेश की त्रिपूटी में ब्रह्मा को हटाकर खूद लेखराज महाशय बिराजमान हो गये । बाकी ४-५ धर्म को अपने साथ बताये हैं लेकिन हिन्दु के सिवा कीसी को बेवकुफ होना नही है ।

 

वेदों और पूराणो को कौन सी सदी में भ्रष्ट किया और कलियुग की थियरी उस में डाली गयी अभी हमारे पास कडी नही है तो मान लेते हैं वो हिदु धर्म की थियरी है । इस थियरी पर दानव समाज आदमी को बरगला रहा हैं, आसपास की बूरी घटना और बूरे लोगों को स्विकार्य करा रहे हैं । कलियुग है तो ऐसा होना स्वाभाविक है प्रतिकार करने के बदले आदमी मान लेता है ऐसा तो होता है, जाने दो कलियुग है । ये सब से बडा महान धार्मिक कौभांड है । इस फोटो के पेरेग्राफ एक में यही रोना रोया गया है । पेरेग्राफ दो में हिन्दु ने आनेवाले भगवान कल्की के आवतार को भी हडप किया है । आबूमें उसका जनम करवा दिया है । पेरेग्राफ तीन के अनुसार ये ऐसा भगवान है जो मानवजात को बचायेगा नही, कायर, नपुंसक और स्वर्ग का लालची बनाकर दुश्मनो से मरवा कर ब्रह्मलोक ले जायेगा । (युएन का डिपोप्युलेशन एजन्डा-२१ पढ लेना)

विश्वयुध्ध-३ के विनाश और उस के बाद के जीवन के सुनहरे सपने देखे जा रहे हैं और खुशिया मनाई जा रही है । मानते हैं की हम, इस संप्रदाय वाले पुण्यात्मा ही नई दुनिया का नवसर्जन करेंगे । इतना नही सोचा की पहले नर्क के किचड से बाहर निकल पाओगे की नही ।

इस में बताया गया है दुनियामें एक ही धर्म, एक ही राज्य एक ही भाषा होगी । बिलकुल सत्य । न्यु वर्ल्ड ऑर्डरवाले शैतान दुनिया में ग्लोबल सरकार बनाना चाहते हैं लेकिन नारायण की नही वामपंथी कोम्युनिस्ट सरकार होगी, भाषा अंग्रेजी और धर्म शैतानी मेसोनिक धर्म होगा । बाकी जो डिंग मारी है और फोटो वो बेवकुफ हिन्दुओं को बहलाने के लिए हैं ।

 

इस में दादा लेखराज को छोड कर कहीं भी भारतियता या हिन्दुत्व दिखता है ? प्योर युरोपियन है । ऐसे ही एक धर्मवाले ने एक मित्र को बॅप्टाईज करने के लिए उस से पंगा लेते हुए इस तरह के कुछ फोटो कोमेन्ट में डाल दिये । उस को पूछा इसमें कुछ भारतियता बताओ । तो कहने लगा हमारे इसाई भक्तों ने हमारे बोध की पूरी किताब फोटो के साथ हमारी संस्था को दी है । चेक करना पडेगा भारतमें इल्लुमिनिटी ने हिन्दु की चद्दर ओढे कितने इसाई धर्म भेजे है ।

 

हमारे भगवान ने कभी टेबल कुरसी नही देखी हैं तो उस पर डिनर करने का सवाल नही उठता है । इन के नये भगवान मानवों की तरह एक फेमिली की तरह साथ में टेबल पर डिनर खायेन्गे । मानवों की फेमिली तो बनने ही नही देनी है तो वो तो फोटो देखकर खूश होन्गे और याद करेंगे कि हमारे बाप दादा के समय भी फेमिली हुआ करती थी ।

 

इसाई से ज्यादा ये लोग प्रचार करते हैं । टीवी में, पहले रोड पर खडे रहते थे, सेलिब्रिटी का उपयोग करते हैं, सभायें भरते हैं । करोडों का बजट होगा । अब भारत की जनता की जेब इतनी भारी नही रही है की इतना दान दे सके । घोटाले और लूट का धन रिवर्स हो कर आडे तेडे रास्ते से गुजरकर इनलोगों के पास आते हैं इसमें कोइ दो राय नही ।

सिर्फ भारत में ही नही सारी दुनिया में अपने ग्लोबलाईजेशन के एजन्डे को आगे बढाने के लिए और जगत की जनता को लडने के काबिल नही छोडने के लिए हजारों ऐसे “न्युएज” संप्रदाय फैलाये जा रहे हैं ।

क्या करना चाहिए ? ओम शान्ति ओम शान्ति करते करते मरने की तैयारी करनी चाइये या हिम्मत से डटे रहना है शैतानों का सामना करते हुए ।

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